विजय कुमार ने 143 किग्रा क्लीन एंड जर्क में राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी कर 55 किग्रा वेटलिफ़्टिंग में जीता स्वर्ण पदक

देहरादून: छत्तीसगढ़ के वेटलिफ्टर विजय कुमार ने 38वें राष्ट्रीय खेल में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए पुरुषों की 55 किग्रा भारवर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उन्होंने 143 किग्रा क्लीन एंड जर्क में उठाकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी की और कुल 248 किग्रा (105 किग्रा स्नैच + 143 किग्रा क्लीन एंड जर्क) वजन उठाकर प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान हासिल किया।

विजय की यह जीत केवल एक पदक नहीं, बल्कि उनके कठिन परिश्रम, संघर्ष और अटूट समर्पण की कहानी है। साधारण परिवार से आने वाले विजय के पास महंगे पोषण सप्लीमेंट या विशेष प्रशिक्षण के लिए संसाधन नहीं थे, लेकिन उनके सपने बड़े थे। शुरुआती दिनों में साधारण ‘दाल-चावल’ उनका आहार था, लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा हमेशा बुलंद रही।

ये भी पढ़ें:  47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस-2025 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया प्रतिभाग, कहा – पीआर विजन-2047 विकसित भारत के निर्माण में निभाएगा अहम भूमिका

अपनी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर विजय ने कहा, “मेरे माता-पिता को वेटलिफ़्टिंग में कोई भविष्य नहीं दिखता था। वे चाहते थे कि मैं इसे छोड़ दूं, लेकिन यह मेरा जुनून था, मेरा एकमात्र लक्ष्य। आज का स्वर्ण पदक इस बात का प्रमाण है कि मेरा संघर्ष सही था।”

इस सफर में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जिनमें सबसे बड़ी चुनौती उनकी पुरानी हैमस्ट्रिंग चोट थी। कई बार उन्होंने खुद भी संदेह किया कि क्या वे कभी शीर्ष स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे। लेकिन उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें विजयी बना दिया।

ये भी पढ़ें:  ऋषिकेश की बेटियों ने चमकाया नाम, अस्मिता किक बॉक्सिंग लीग में शानदार प्रदर्शन; कोच अनुज गौड़ के मार्गदर्शन में छात्राओं ने हासिल किए स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक

यह स्वर्ण पदक उनके लिए केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि उनके माता-पिता और कोच के प्रति समर्पण का प्रतीक भी है। विजय ने भावुक होते हुए कहा,”यह पदक उन्हीं के लिए है। उन्होंने मुझ पर भरोसा किया, जब किसी और ने नहीं किया।”

इस ऐतिहासिक जीत से कुछ सप्ताह पहले, विजय ने सोशल मीडिया पर एक प्रेरणादायक संदेश साझा किया था: “मेरा सफर तब तक जारी रहेगा, जब तक मैं सफल नहीं हो जाता।” और आज, उन्होंने अपने शब्दों को सच कर दिखाया।

विजय कुमार की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि हर युवा एथलीट के लिए प्रेरणा है। यह दिखाती है कि यदि हौसले बुलंद हों और मेहनत में कोई कमी न हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

ये भी पढ़ें:  सुशासन में उत्कृष्टता के लिए बंशीधर तिवारी को राष्ट्रीय सम्मान, मुख्यमंत्री धामी ने किया सम्मानित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *