संविधान की मूल भावना ही एमडीडीए की कार्यसंस्कृति का आधार – बंशीधर तिवारी

  • एमडीडीए में संविधान दिवस पर उद्देशिका का सामूहिक पठन, राष्ट्रनिर्माण के संकल्प को दोहराया

देहरादून: संविधान दिवस के अवसर पर बुधवार को मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में एक गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सचिव एमडीडीए मोहन सिंह बर्निया ने की। इस मौके पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भारत के संविधान की उद्देशिका का सामूहिक पठन किया और संविधान की मूल भावनाकृन्याय, स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुताकृके प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। एमडीडीए परिसर में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न शाखाओं के अधिकारी-कर्मचारी सक्रिय रूप से शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र निर्माण की दिशा में मिलकर कार्य करने के संकल्प के साथ हुआ।

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सचिव मोहन सिंह बर्निया ने उपस्थित सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और आम नागरिकों को संविधान दिवस एवं विधि दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित कीं। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 1949 का दिन भारत के इतिहास में सदा स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा, क्योंकि इसी दिन संविधान सभा ने भारतीय संविधान को स्वीकार कर लोकतंत्र की मजबूत नींव रखी। सचिव मोहन सिंह बर्निया ने इस अवसर पर संविधान के मुख्य शिल्पकार बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि भारतीय संविधान न केवल विश्व का सबसे विस्तृत और समावेशी संविधान है, बल्कि यह हर नागरिक को समान अधिकार और अवसर प्रदान करने की महान व्यवस्था भी है। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस हमें स्मरण कराता है कि राष्ट्र के विकास, प्रगति और सुशासन की आधारशिला संविधान ही है, और प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह संविधान द्वारा प्रदत्त मूल्यों का पालन करे।

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कार्यक्रम के दौरान सचिव बर्निया ने एमडीडीए द्वारा सुशासन, पारदर्शिता एवं विकास के लिए किए जा रहे कार्यों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण की हर विकास प्रक्रिया संविधान की प्रेरणा और जनहित की प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ रही है। एमडीडीए सुव्यवस्थित नगर नियोजन और बेहतर शहरी प्रबंधन के लिए निरंतर प्रयासरत है।

उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने संविधान दिवस पर अपने संदेश में कहा भारतीय संविधान हमारे लोकतंत्र की आत्मा है, जो हमें कर्तव्यों और अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने की सीख देता है। संविधान दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का पुनः स्मरण है। एमडीडीए में हम पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और जनसेवा की भावना के साथ कार्य करते हुए संविधान की मूल भावना को हर विकास कार्य में उतारने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विकास तभी सार्थक है जब वह न्याय और समानता के सिद्धांतों पर आधारित हो।

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