मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून ने बताया स्तनपान के वैज्ञानिक और चिकित्सकीय लाभ

सहारनपुर: विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून के डॉक्टरों ने एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें स्तनपान के मेडिकल और भावनात्मक महत्व पर प्रकाश डाला गया।

स्तनपान शिशुओं को जीवन के प्रारंभिक महीनों में संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह माँ के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने, गर्भाशय की रिकवरी में सहायता करने, प्रसव के बाद वजन नियंत्रण और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी सहायक है।

डॉ. आस्था अग्रवाल, प्रिंसिपल कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक्स, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून ने बताया, “माँ के दूध में मौजूद एंटीबॉडी (इम्यूनो-प्रोटीन) शिशु को डायरिया, न्यूमोनिया, कान के संक्रमण और त्वचा संबंधी बीमारियों से बचाते हैं। जन्म के तुरंत बाद बनने वाला पीला गाढ़ा दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है, उसमें इम्युनोग्लोब्युलिन्स प्रचुर मात्रा में होते हैं जो शिशु की आंत और श्वसन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।”

ये भी पढ़ें:  पीएचडीसीसीआई उत्तराखंड चैप्टर में विनीत कुमार गुप्ता को चेयरमैन नियुक्त किया गया; यूकाइटेक्स 2025 की घोषणा

डॉ. अग्रवाल ने आगे “गोल्डन ऑवर” यानी जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने के महत्व पर भी जोर दिया। यह माँ में दूध बनाने वाले हार्मोनों को सक्रिय करता है और शिशु की सकिंग रिफ्लेक्स को मजबूत करता है, जिससे सफल स्तनपान की मजबूत नींव रखी जाती है।

लंबी समय तक स्तनपान के फायदों के बारे में बताते हुए डॉ. अग्रवाल ने कहा, “जो बच्चे छह माह तक केवल स्तनपान करते हैं, उनमें एलर्जी, अस्थमा, डायबिटीज़ और मोटापे का खतरा बहुत कम होता है। स्तनपान करने वाली माताओं में भी ब्रेस्ट और अंडाशय के कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज़, और दिल की बीमारी का खतरा घटता है। इसके अतिरिक्त, माँ के शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज़ होता है जो गर्भाशय को जल्दी सामान्य आकार में लौटने में मदद करता है और डिलीवरी के बाद के रक्तस्राव को कम करता है।”

ये भी पढ़ें:  ‘नॉकआउट डिजिटल फ्रॉड’ कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने दिए बचाव के मंत्र, बजाज फाइनेंस ने रामनगर में आयोजित किया साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान

आम समस्याओं की बात करते हुए डॉ. अग्रवाल ने बताया कि कई माताओं को दूध की कमी या शिशु को सही तरीके से स्तनपान न करा पाने की समस्या होती है। “अधिकांश मामलों में यह समस्या चिंता और जानकारी की कमी के कारण होती है, न कि किसी शारीरिक कमी के कारण। नियमित स्तनपान, त्वचा से त्वचा का संपर्क और शांत वातावरण दूध के प्रवाह को बेहतर बना सकते हैं। यदि बच्चा सही तरीके से स्तन को नहीं पकड़ पा रहा हो तो ऐसे में मां को सही पोजीशन अपनाना और ज़रूरत पड़ने पर स्तनपान सलाहकार की मदद लेना बेहद जरूरी होता है।”

ये भी पढ़ें:  सांसद राज्यसभा डॉ. नरेश बंसल ने सदन मे सहकारी समितियों पर जीएसटी दर को तर्क संगत बनाने का असर का किया अतारांकित प्रश्न

“स्तनपान से माँ और बच्चे के बीच ऑक्सीटोसिन और प्रोलैक्टिन हार्मोन के माध्यम से एक गहरा भावनात्मक रिश्ता बनता है। यह केवल पोषण नहीं, एक गहरा स्पर्श है – जो माँ-बच्चे को मानसिक सुरक्षा और भावनात्मक स्थिरता देता है।”

मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून माताओं को स्तनपान अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। स्तनपान के चिकित्सकीय और भावनात्मक फायदों के प्रति जागरूकता फैलाकर अस्पताल समय पर स्तनपान शुरू करने और इसे लंबे समय तक जारी रखने को बढ़ावा देना चाहता है, जिससे शिशुओं को एक बेहतर और स्वस्थ शुरुआत मिल सके और माताओं का स्वास्थ्य भी बेहतर रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *